निवेदन— प्रार्थना— अनुरोध : सैयद तनवीर आलम
हम सबों पर विपदा आन पड़ी है हमसब के लिए परीक्षा की घड़ी है एक रोटी अगर अपने पास है…
हम सबों पर विपदा आन पड़ी है हमसब के लिए परीक्षा की घड़ी है एक रोटी अगर अपने पास है…
कुछ देर मेरे पास रहो कुछ तो अपना ख्याल रखा करो कहती है उन आंखों की कश्ती इतना भी ना…
टूटना टूट कर बिखर ना बिखर कर समेटना गिरना गिरकर उठना उठकर समेटना रुकना रुक कर संभाला संभलकर झटपटाना मिलना…